Delhi Air Pollution: दिल्ली-NCR में हर साल क्यों विकराल हो रही है प्रदूषण की समस्या, क्या कहते हैं एक्सपर्ट और इसका समाधान क्या है?
दिल्ली-NCR में सर्दियों के आते ही वायु प्रदूषण की समस्या हर साल एक बार फिर से सुर्खियों में आ जाती है। जैसे ही अक्टूबर और नवंबर का महीना शुरू होता है, हवा में धुंध (Smog) की परत छा जाती है और सांस लेना मुश्किल हो जाता है। स्कूल बंद करने पड़ते हैं, लोगों को मास्क पहनकर बाहर निकलना पड़ता है, और अस्पतालों में सांस की बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है।
हर साल क्यों बिगड़ती है दिल्ली की हवा?
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली-NCR में प्रदूषण का स्तर सर्दियों में कई कारणों से बढ़ता है। इनमें सबसे बड़ा कारण है पराली जलाना, जो हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान फसलों की कटाई के बाद करते हैं। पराली के धुएं के साथ-साथ दिल्ली में चल रहे निर्माण कार्य, वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन और पटाखों का प्रयोग भी हवा को जहरीला बनाते हैं।
सर्दियों में हवा की गति कम हो जाती है और तापमान नीचे गिरने से प्रदूषक कण (PM2.5 और PM10) वायुमंडल में जम जाते हैं। यही कारण है कि नवंबर-दिसंबर में AQI (Air Quality Index) “Severe” कैटेगरी में पहुंच जाता है।
दिल्लीवालों की सेहत पर गंभीर असर
प्रदूषण के कारण बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं पर सबसे ज़्यादा असर पड़ता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि प्रदूषित हवा फेफड़ों की कार्यक्षमता को 20-30% तक कम कर सकती है। लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने से अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस, हार्ट डिजीज और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। दिल्ली के कई अस्पतालों ने बताया है कि नवंबर के महीने में सांस की दिक्कत और खांसी-जुकाम के मरीजों की संख्या दोगुनी हो जाती है।
एक्सपर्ट ने बताया समाधान क्या है?
पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. आर. के. शर्मा के अनुसार, “समस्या का हल केवल मास्क पहनने या गाड़ियां बंद करने से नहीं निकलेगा। इसके लिए एक दीर्घकालिक रणनीति की जरूरत है।” उन्होंने बताया कि –
1. पराली प्रबंधन के लिए किसानों को वैकल्पिक उपाय दिए जाएं, जैसे बायो-डीकंपोजर स्प्रे और मशीनें जो पराली को खेत में ही खाद में बदल सकें।
2. पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को मजबूत किया जाए ताकि लोग निजी वाहनों पर निर्भर न रहें।
3. कंस्ट्रक्शन साइट्स पर डस्ट कंट्रोल सिस्टम और ग्रीन कवर बढ़ाने जैसे उपाय किए जाएं।
4. इलेक्ट्रिक वाहनों और रीसाइक्लिंग प्लांट्स को बढ़ावा दिया जाए।
दिल्ली सरकार ने हाल के वर्षों में कई योजनाएं शुरू की हैं — जैसे ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP), ऑड-ईवन स्कीम, और एंटी-स्मॉग गन का उपयोग। लेकिन जब तक आम लोग इसमें सहयोग नहीं करेंगे, तब तक असर सीमित रहेगा।
हमें अपने स्तर पर भी बदलाव लाना होगा — जैसे कारपूलिंग करना, पटाखे न जलाना, पेड़ लगाना और प्लास्टिक कचरे को कम करना।
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